अकबर के नवरत्न और उनके काम | Akbar Ke Navratan

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Akbar Ke Navratan
Akbar Ka Navratan

मुगल बादशाह अकबर आज भी भारतीय इतिहास का एक चमकता हुआ रत्न है। वह तीसरे मुगल बादशाह थे। नौ रत्नों ने उनकी सभा को आलोकित कर दिया। इन्हें अकबर का नवरत्न कहा जाता है।

अकबर के ये नवरत्न अपने-अपने कार्य में उत्कृष्ट और अतुलनीय थे, वे इतने कुशल थे कि उनकी तुलना केवल उन्हीं से की जा सकती थी।

जिस प्रकार समुद्रगुप्त का दरबार बुद्धिमान पुरुषों द्वारा प्रकाशित किया गया था, उसी प्रकार सम्राट अकबर की सभा लंबे समय तक नौ रत्नों के प्रकाश से प्रकाशित हुई थी।

अकबर के नवरत्न और उनके काम | Akbar Ke Navratan

अकबर के शाही दरबार को रोशन करने वाले अकबर के नवरत्न के नाम और काम की सूची गई है

क्रमसूचक संख्याअकबर के नवरत्न प्रवीणता
1अबुल फजलप्रधान मंत्री
2तानसेनसंगीत
3राजा बीरबलसलाहकार
4अब्दुल रहीमकवि
5फैजीसाहित्य
6राजा मान सिंहसेनापति
7टोडरमलअर्थव्यवस्था
8मोल्ला दो पायजाग्रह मंत्री
9फकीर अजीउद्दीनधर्म मंत्री
अकबर के नवरत्नों के नाम | Akbar Ke 9 Navratna

अकबर के नवरत्न in English

SL No.Akbar’s NavratnaProficiency
1Abul FazalPrime Minister
2TansenSinger
3Raja BirbalAdvisor
4Abdul RahimPoet
5Faiziliterature
6Raja Man SinghCommander
7TodermalEconomy
8Molla Do PaijaPlanet Minister
9Fakir AjiuddinMinister of Religion
Akbar Navratna Name in English | Akbar Navratna List

अकबर के नवरत्न में नवरत्न का क्या नाम था?

1. अबुल फजल:

अबुल फ़ज़ल की रचनाओं से हमें अकबर की जीवनी और उसकी राजनीतिक गतिविधियों के बारे में पता चलता है।

अबुल फजल ने एक इतिहासकार की तरह अकबर के शासनकाल और उसकी जीवनी को अपनी रचनाओं में दर्ज किया है।

अबुल फजल की दो पुस्तकें ‘अकबरनामा’ और ‘आईनी-अकबर-ए’ भारतीय इतिहास के महत्वपूर्ण घटक हैं।

‘अकबरनामा’ से हम बादशाह अकबर की जीवनी के बारे में जान सकते हैं और ‘आइनी-अकबर-ए’ से हम उस समय के कायदे-कानूनों के बारे में जान सकते हैं।

2. तानसेन:

तानसेन अकबर के दरबार में संगीतकार थे। उन्हें भारत का अब तक का सबसे महान संगीतकार माना जाता है।

उन्होंने एक शास्त्रीय गायक, गीतकार और संगीतकार के रूप में बहुत ख्याति प्राप्त की। उनकी रचना में अनेक राग-रागिनियों का जन्म हुआ, उनमें से कुछ हैं मिया की मल्हार, मिया की तोड़ी और दरबारी कंदरा आदि।

3. राजा बीरबल:

अकबर और बीरबल के बारे में कहानियों का कोई अंत नहीं है, कई लोग उनकी तेज बुद्धि के लिए उनकी प्रशंसा करते हैं जबकि अन्य बीरबल को एक विदूषक या विदूषक के रूप में चित्रित करते हैं।

हालांकि अधिकांश इतिहासकारों के अनुसार बीरबल का विदूषकों या विदूषकों से कोई लेना-देना नहीं है।

बीरबल का वास्तविक नाम महेश दास था। उन्होंने ब्रजबुली भाषा में संगीत और कविता में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया, जिससे उन्हें कवि और गायक के रूप में अकबर के दरबार में जगह मिली।

बीरबल की प्रतिभा के कारण, वह अकबर के दरबार में नवरत्नों में से एक बन गया।

4. अब्दुल रहीम:

‘दोहागन’ की बात करें तो सबसे पहले बैरम खान की बात करनी होगी। बैरम खान अकबर के संरक्षक थे और अब्दुल रहीम खान बैरम खान के पुत्र थे।

अब्दुल रहीम खान अकबर के दरबार के नवरत्नों में से एक थे। कवि, गायक, गीतकार और ज्योतिषी में अनेक प्रतिभाएँ थीं।

शाही दरबार अक्सर उनकी कविताओं और गीतों से मनोरंजन करता था और ज्योतिष में उनकी विशेषज्ञता ने उन्हें शाही दरबार में सभी के बीच काफी लोकप्रिय बना दिया था।

5. फैजी:

फैजी अबुल फजल का बड़ा भाई था। कवि होते हुए भी उन्होंने एक सफल अनुवादक और शिक्षक के रूप में ख्याति प्राप्त की।

वे मुख्यतः फारसी अनुवाद में निपुण थे। उनके द्वारा पंचतंत्र, रामायण और महाभारत का फारसी में अनुवाद किया गया।

उनकी प्रतिभा से प्रभावित होकर अकबर ने अपने पुत्रों को शिक्षक नियुक्त किया। फैजी अकबर के शाही दरबार के सफल व्यक्तियों में से एक थे।

6. राजा मान सिंह:

मानसिंह का पूरा नाम राजा मानसिंह तोमर है। सम्राट अकबर का एक विश्वसनीय मित्र मानसिंह था – आमेर (वर्तमान जयपुर) का राजा।

इसी मानसिंह ने बिहार, उड़ीसा और दक्कन के युद्धों में अकबर की सहायता की।

राजा मानसिंह 1596 में ईशा खान के साथ मुगल युद्ध के सेनापति थे।

वह अफगान और बंगाल युद्धों के दौरान मुगलों के प्रतिनिधि थे। अकबर ने सबसे विश्वस्त सेनापति मानसिंह को ‘फरजंद’ या ‘पुत्र’ की उपाधि भी प्रदान की।

7. टोडरमल:

टोडरमल शुरू में सम्राट शेर शाह के वित्त मंत्री थे, शेर शाह की मृत्यु के बाद, अकबर टोडरमल की प्रतिभा, समर्पण, योजना और ज्ञान से प्रभावित हुए और उन्हें अपना वित्त मंत्री नियुक्त किया।

उनका गणित उस समय भारत ही नहीं बल्कि विश्व का सबसे महान गणितज्ञ माना जाता है। अकबर के वित्त मंत्री के कार्यकाल के दौरान टोडरमल द्वारा निर्धारित भूमि और कराधान की दरें आज भी भारत के कई प्रांतों में लागू हैं।

उन्होंने भागवत पुराण का फारसी में अनुवाद भी किया। 1585 में काशी में विश्वनाथ मंदिर की मरम्मत और पुनर्निर्माण उनके द्वारा किया गया था।

8. मोल्ला दो पायजा:

मोल्ला दो-पियाजा यही कारण है कि उन्हें यह अजीब नाम मिला – उन्हें स्वादिष्ट मुगल व्यंजन दो-पियाजा का आविष्कारक माना जाता है, इसलिए उन्हें इस नाम से जाना जाने लगा।

लेकिन उन्होंने इसे बीरबल के प्रतिद्वंद्वी के रूप में नवरत्न बना दिया। सूझबूझ और चतुराई से वह किसी को भी मात दे सकता था।

एक ओर वह लोकगीतों और लोकगीतों के माध्यम से सभाओं को संबोधित करता था और दूसरी ओर वह सम्राट के मुख्य सलाहकार के रूप में भी कार्य करता था।

9. फकीर अजीउद्दीन:

बीरबल और गृह मंत्री मुल्ला दो-पियाजा के अलावा, फकीर अजीउद्दीन बादशाह अकबर के सलाहकार के रूप में प्रमुख व्यक्तियों में से एक थे।

उन्हें व्यक्तिगत जीवन में अकबर का बहुत करीबी व्यक्ति माना जाता था और दूसरी ओर सभा के मुख्य सलाहकार के रूप में।

सूफी संत फकीर अजीउद्दीन अकबर को धार्मिक मामलों पर तरह-तरह की सलाह देते थे।

अकबर उसका बहुत आदर करता था, इसलिए फकीर अजीउद्दीन की किसी भी सलाह या तर्क को वह बड़े आदर के साथ मानता था। इन्हीं सब कारणों से उन्हें अकबर की सभाओं के ‘नवरत्न’ में रखा गया।

अकबर के नवरत्न Trick | Akbar Navratna Trick

Akbar ke navratan name in hindi

FAQs अकबर के नवरत्न की जानकारी

प्रश्न: अकबर के नवरत्न कौन कौन से हैं?

उत्तर: अकबर के नवरत्न के नाम – अबुल फजल, तानसेन, राजा बीरबल, अब्दुल रहीम, फैजी, राजा मान सिंह, टोडरमल, मोल्ला दो पायजा और फकीर अजीउद्दीन ।

प्रश्न: मुगल सम्राट अकबर का नवरत्न कौन नहीं था?

उत्तर: उस्मान अली खान मुगल बादशाह अकबर के नवरत्न में शामिल नहीं थे ।

प्रश्न: अकबर के दरबार में कितने रत्न थे?

उत्तर: अकबर के दरबार में कितने 9 रत्न थे ।

प्रश्न: बीरबल कौन थे?

उत्तर: राजा बीरबल अकबर के नवरत्नों में जिसका कलम और तलवार पर समान अधिकार था ।

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